बचपन पर आज की मेरी रचना-27-06-2015
!
मेरा बचपन-
!
मेरा बचपन सुगम सरल मनमोहक सुन्दर सपना था,
बच्चों संग मैं बच्चा था और एक घरौंदा अपना था,
चिड़िया उड़, तोता उड़ करके भैंस उड़ाया करता था,
कभी तड़ापड़ करता था तो कभी कराया करता था,
!
मेरी दादी मुझे कहानी रोज सुनाया करती थी,
एक चवन्नी, हाँ-हूँ करता तभी थमाया करती थी,
हाथी-घोड़े और परी की लोक-कथाएं ऐसी थीं,
कभी-2 पृथ्वी पर रहता, कभी मरकरी अपनी थी,
!
कोई ना चिंता कोई परेशानी ना कोई तमन्ना था,
क्यों कि सपनों को साकार करे वो दादी अम्मा थी,
चाभी वाली कार बैठ दुनिया मैं घूम लिया करता,
जब भी लगती भूख-मुरब्बा, शक्कर ढूढ़ लिया करता,
!
आज बड़ा हो गया हूँ शायद पर मेरा इक सपना था,
उड़ूं आसमानों में क्यों कि आसमान भी अपना था,
उड़ा दिया मुझको जहाज ने, नहीं मजा पर उतना था,
जैसा मेरा बचपन सुगम सरल मनमोहक सपना था,
!
©सचिन पी पुरवार
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मेरा बचपन-
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मेरा बचपन सुगम सरल मनमोहक सुन्दर सपना था,
बच्चों संग मैं बच्चा था और एक घरौंदा अपना था,
चिड़िया उड़, तोता उड़ करके भैंस उड़ाया करता था,
कभी तड़ापड़ करता था तो कभी कराया करता था,
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मेरी दादी मुझे कहानी रोज सुनाया करती थी,
एक चवन्नी, हाँ-हूँ करता तभी थमाया करती थी,
हाथी-घोड़े और परी की लोक-कथाएं ऐसी थीं,
कभी-2 पृथ्वी पर रहता, कभी मरकरी अपनी थी,
!
कोई ना चिंता कोई परेशानी ना कोई तमन्ना था,
क्यों कि सपनों को साकार करे वो दादी अम्मा थी,
चाभी वाली कार बैठ दुनिया मैं घूम लिया करता,
जब भी लगती भूख-मुरब्बा, शक्कर ढूढ़ लिया करता,
!
आज बड़ा हो गया हूँ शायद पर मेरा इक सपना था,
उड़ूं आसमानों में क्यों कि आसमान भी अपना था,
उड़ा दिया मुझको जहाज ने, नहीं मजा पर उतना था,
जैसा मेरा बचपन सुगम सरल मनमोहक सपना था,
!
©सचिन पी पुरवार
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