स्वागत गीत
सागर गुजराती को समर्पित
लौट आया हमसफ़र जो खो गया था
खो गया था दूर हमसे हो गया था
रोज डे के साथ आया रोज लेकर
जो ग़मों के आंशुओं को दे गया था
नाम गुजराती है उसका और सागर नाम है
पापी, भ्रष्टों को मिटाना ये ही उसका काम है
४ दिन को वो गया था दुश्मनों की खैर लेने
घूमने अपने शहर में औ वहाँ की मिट्टी लेने
है वो राजा फेसबुक का हम सभी का गर्व है
है नया सन्देश खुद में और इक सन्दर्भ है
उसके आने की ख़ुशी में इस कदर पागल हुए
सूझे न कुछ और हमको और दिल सागर हुए
रचित - सचिन पुरवार जी
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