Sachin Purwar ji
Tuesday -31-jan-2012
बस शाम हुई
और चाँद खिला
मन में भी उठी उमंगें थी
बस प्यार हुआ बस प्यार हुआ
किस लड़की से मुझे प्यार हुआ
ना मैं जानू ना वो जाने
लेकिन एक पल को सपने में
हो गयी थी मेरी शादी थी
हम सबकी लाइफ के मंडप में
हर सुख औ ख़ुशी कुवारीं हैं
अब जाएँ मांगने हम किससे
हर कोई यहाँ भिखारी है
कहकहों के रेले में
आँसुओं का नाता है
जाने मेरी किस्मत ने
कैसा खेल खेला है
ये तो चाँद है, चांदनी बिखेरेगा
कल भी मन अकेला था, आज भी अकेला है
रचित - सचिन पुरवार जी
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