"कर अदा सभी किरदारों को बैठता हूँ मैं तालमेल
पी घूंट जहर सा हर पल मैं खेलूं जैसे कोई खेल खेल
हर रंग दिखाया उसने अपना नहीं कसर कोई छोड़ी
यूँ कहने को आजाद तो हूँ पर रहता हूँ मैं जेल जेल
इस रंग बदलती दुनिया में बदला उसने अपना भी रंग
जैसे नैया साहिल छोड़े उसने छोड़ा मेरा भी संग
अब तक इस गलफ़त में मैं रहा जैसे न छिपा कुछ मुझसे था

यूँ तो हमने अब तक उनको आँशु के सिवाह कुछ भी न दिया
खूब रुलाया था उनको फिर खूब मानना खूब हुआ
उनकी हर एक एक सांसों में की थी हमने खुशियों की दुआ
बस एक सच्चाई के बदले उसने हमको तन्हा छोड़ दिया
अब क्या शिकवा क्या गिला करूँ तौहीन मुहब्बत की होगी
इस हाल में हमको छोड़ दिया रंगीन जवानी क्या होगी
देते तो सजा जो गलती थी इंसान ही करता गलती है
यूँ छोड़ दिया तन्हा मुझको अब तेरी सजा भी क्या होगी
माफ़ करो हम नतमस्तक तेरे दर में हम झुके हुए
तेरी करता हूँ पूजा ओ सरकार यहाँ पर खड़े हुए
पर मत कहना अब कभी कि मुझको प्यार नहीं करना
नहीं चाहिए कुछ हमको बस प्यार करेंगे झुके हुए"
रचित - सचिन पुरवार जी
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