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Sunday, 6 May 2012


Sachin Purwar  ji
January 24


वो पगली लड़की कहाँ गयी
जो चुम्बन की जिद्द करती थी 


रो देती थी बस एक झटके में 
जब मैं एक पल भी न हूँ खटके में 


क्या प्रेम भरा आलिंगन था 
जादू सा उसका चुम्बन था


हिरनी सी उसकी आँखें थी
क्या सर्प के जैसी बाहें थी


बातों से प्यारी लगती थी
क्या करूँ वो पागल लड़की थी


रचित - सचिन पुरवार जी 




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