Sachin Purwar ji
January 24
वो पगली लड़की कहाँ गयी
जो चुम्बन की जिद्द करती थी
रो देती थी बस एक झटके में
जब मैं एक पल भी न हूँ खटके में
क्या प्रेम भरा आलिंगन था
जादू सा उसका चुम्बन था
हिरनी सी उसकी आँखें थी
क्या सर्प के जैसी बाहें थी
बातों से प्यारी लगती थी
क्या करूँ वो पागल लड़की थी
रचित - सचिन पुरवार जी
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