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Monday, 14 May 2012

पलके ठहर गयीं


दोस्तों आज आपके सामने फिर से पेश करते हैं एक रोमांटिक सी कविता 


तू परी या कोई अप्सरा
तेरे यौवन ने मुझको छला
जैसे कोई छलता है छलिया 
फिर दिल जला दिल जला दिल जला


पीना है रस तेरे होंठों का
जो किये गुलाबी तूने हैं
कुछ असर प्यार का है तुझपे 
तेरे नयन बताएं जो सूने हैं 


तेरे पग से लेकर सर तक 
जो आकर्षक श्रंगार लदा 
जिसे देख के पलके ठहर गयीं
कह दूँ मैं सारी दुनिया को मेरा यार सजा मेरा यार सजा......


रचित - सचिन पुरवार जी

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