दोस्तों आज आपके सामने फिर से पेश करते हैं एक रोमांटिक सी कविता
तू परी या कोई अप्सरा
तेरे यौवन ने मुझको छला
जैसे कोई छलता है छलिया
फिर दिल जला दिल जला दिल जला
पीना है रस तेरे होंठों का
जो किये गुलाबी तूने हैं

तेरे नयन बताएं जो सूने हैं
तेरे पग से लेकर सर तक
जो आकर्षक श्रंगार लदा
जिसे देख के पलके ठहर गयीं
कह दूँ मैं सारी दुनिया को मेरा यार सजा मेरा यार सजा......
रचित - सचिन पुरवार जी
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