कुछ करने से कुछ होता है
कुछ होने से कुछ मिलता है
कुछ मिलने से जो ख़ुशी मिलती है
उसका जबाब तो किसी के पास न होता है
इसलिए सोचा कि कुछ सोच के लिख लूँ
दरिया में उतरा हूँ तो साहिल की खोज कर लूँ

बस कविता के सहारे ही दुनिया की सैर कर लूँ
अस्तित्व मिट जायेगा इक दिन कुछ कर्म भी तो कर लो
तपा के खुद को कर्म का एक जाम भी तो पी लो
मिटटी से आये हैं सभी मिल जाना है इसी में
कुछ कर्म यूँ करो कि खुद को अमर तो कर लो
रचित - सचिन पी पुरवार
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