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Tuesday, 8 May 2012

ये गम


ये गम
क्या है ये गम
जब ये आये तो गम लेकर आये
जाएँ तो गम देकर जाएँ


एक गम-ए-मिसाल है दोस्तों मेरे दोस्त की ..
जरा गौर फरमाएंगे तो कम होंगे उसके गम


उसका भी था एक दोस्त मेरे दोस्त की तरह
गम मिले थे जिसको मेरे दोस्त की तरह


आया था वो दोस्त की जिन्दगी में मददगार की तरह
करता था ख्याल वो माँ- बाप की तरह


जीता था उसने दिल मेरे दोस्त का इस कदर
आ गयी वो नादान उसके बातों में इस कदर


न सोचा आगे का न पीछे की सुध रही
वो तो बस राधा सी बाबली उस पर मरती रही


फिर एक रात आई ऐसी तूफान की
जिसने ली थी मेरे दोस्त की जान सी


वो पगली मर मिटी थी उसपे सौप दिया था सब कुछ
न कुछ सोचा न कुछ समझा होश रहा था न कुछ


डाल के आँखों में आँखें उसने उससे पूंछा था कुछ
क्या तू मुझसे करेगा शादी करने से पहले कुछ


था वो राजी किया था वादा आजा मेरी बाँहों में
जन्नत ही जन्नत है रानी मेरी इन प्यारी राहों में


आके पगली ने बातों में सर्वस्व उसे था सौंप दिया
था किया यकीं जिस पर उसने उसने ही भरोसा तोड़ दिया 


रो रो रो रो कर पगली ने की लाल लाल आँखे अपनी
सुनकर प्रियतम की वाणी कि मजबूरी है मेरी भी अपनी


ना थी मजबूरी कोई सखी बस भोग का था वो भूखा था
उस दुष्ट ने ऐसा करके अवला को दिया बस धोखा था


दुष्कर्म किया है भोगेगा ये नालायक वो क्या जाने
कन्या होती है देवी सी ये वेवकूफ वो क्या जाने


सुन लो मेरा अनुरोध सखी कहता हूँ मैं सब सखियों से
प्यार करो तुम खूब करो तुम कहता हूँ मैं सब बच्चियों से


ठुकरा देना उस आग्रह को जिसमे छूना भी शामिल हो
ये प्यार नहीं ये है धोखा जिसमें ये ख़ुशी का कातिल हो


खुद तो मरना है धोखे से, आकर बातों में धोखे से
माँ बाप के भी अरमानों पर पानी फिरता है धोखे से


रचित - सचिन पुरवार जी 

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