
मेरी कविता तेरी कविता
कुछ कुछ कहती है ये कविता
नित नई सोच जगाती कविता
राजा और रानी की कविता
नित मुझको बहलाती कविता
इसकी लय में मैं खो जाता
चाँद की सैर कराती कविता
लोरी गाती इक माँ को ये
नित नए शब्द सुझाती कविता
मैं इसका जब पाठ करूँ तब
अंग अंग थिरकाती कविता
जब मैं सोचूं तुझको तब तब
नयी नयी पंक्ति बनाती कविता
जब मैं तुझसे बात करूँ तो
गध से पध बनाती कविता
पूनम की जगमग रातों में
कोई नया मैं गीत लिखूं जब
चंचल झोंखों सी थपकी दे
करे शरारत मेरी कविता
आ तुझको रसपान करा दूँ
रोम रोम सहला दूँ मैं
तेरे दुःख और करुण ह्रदय को
सुन्दर शांत बनाती कविता
मेरे मित्रों लाइक करो
और करो टिप्पड़ी जमकर तुम
स्वांस स्वांस और रोम रोम में
नित नयी जान जगाती कविता
रचित - सचिन पी पुरवार
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