बस एक तू ही तू ही तू ही बसी है
मेरी साँसों में, मेरे दिल में और मेरी पलकों में
ऐ परी कब आएगी तू
बाँहों में समाएगी तू
तेरा आना, तेरा जाना
न बन जाए, कोई अफसाना
बस तेरा आलिंगन करना
चुपके से आके, हाथ पकड़ना
बस सब याद आ रहा है
कोई साँसों में समां रहा है
तेरा आना जैसे कोई तूफान
तेरा जाना जैसे कोई बिजली
बस सब याद आ रहा है
मेरे आँशु, मेरी धड़कन
सही न जाये कैसी तडफन
तेरे होंठों की खुशबु वाह
तेरे गालों की लाली वाह
हुस्न तेरा जैसे शबनम
ओस की बूंदें गिरें जमीं पर
टिम टिम चमकें जैसे तारे
वैसे चमके हुस्न तेरा
बदन पे जैसे हों सितारे
भींच के अब तुम गले लगा लो
सुस्त रात को हसीं बना दो
कर दिया, मैंने जो चाहा
क्या किस्मत का जादू छाया
मैं तो सपना देख रहा था
सपनों में तुझे सोच रहा था
तेरा आना सुबह हुआ था
तब तक सपना टूट चुका था.......
रचित - सचिन पुरवार जी
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