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Monday, 14 May 2012

समझने की कोशिश करो


समझने की कोशिश करो


Try to understand 


बच्चा चीख रहा है, चिल्ला रहा है, उछल रहा है और तुम अपना अख़बार पढ़ रहे हो, दो कौड़ी का अखबार ! तुम भी जानते हो की उसमे क्या है ? लेकिन तुम बैचेन हो जाते हो, तुम बच्चे को रोकते हो : चीखो मत ! डैडी को डिस्टर्ब मत करो ।' डैडी बड़ा महान काम कर रहे हैं -अखवार पढ़ रहे हैं ! और तुम उस नाचती गाती उर्जा को रोक रहे हो, उस निर्झर को बांध रहे हो, तुम उस रोशनी को , साक्षात् जीवन को रोक रहे हो । तुम हिंसक हो रहे हो ।


और मैं ये नहीं कह रह हूँ की बच्चे को हमेशा आपक परेशान करने दें ।लेकिन सौ में से निन्यानवे मौकों पर तुम व्यर्थ में परेशान होते हो, और अगर उन निन्यानवे मौकों पर तुम उसे मत दांतों तो बच्चा तुम्हें समझता है । बच्चे बहुत ही अच्छा प्रति संवेदित करते हैं । जब वह देखता है की तुम उसे कभी नहीं रोकते, तो एक बार यदि तुम कहते हो कि 'प्लीज, मैं काम कर रहा हूँ ...'तो बच्चा समझ जायेगा कि यह संवाद ऐसे माँ बाप से नहीं आ रहा है जो निरंतर डांटने का बहाना खोज रहे हैं, बल्कि यह ऐसे माँ बाप से आ रहा है, जो हर चीज कि अनुमति देते हैं । बच्चों कि अलग द्रष्टि है ।
बच्चों का अपना देखना है, अपनी समझ है, अपने तरीके हैं, उन्हें समझाने कि कोशिश करो । समझदार ह्रदय पायेगा कि उसके और बच्चे के बीच एक गहरा तालमेल पैदा हो रहा है । वह तो मूढ़ , अचेतन , नासमझ लोग हैं जो अपनी धारणाओं में बंद रहते हैं और दूसरे कि और देखते ही नहीं ।
बच्चे संसार में ताजगी लाते हैं । बच्चे जीवन में भगवता का नया प्रवेश हैं । उन्हें आदर दो, उन्हें समझाने का प्रयास करो ।




ओशो 

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