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Thursday, 31 May 2012

प्यार क्यों होता है ?




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चलो अंजली को आज बता ही देते हैं की प्यार क्यों होता है

सबसे पहले विज्ञान के तरीके से देखते हैं

ये एक चुम्बकीय आकर्षण होता है जी, जब एक लड़का किसी सुन्दर लड़की को देखता है या कोई लड़की किसी सुन्दर लड़के को....तब जो जिससे आकर्षित है उसके अन्दर जो मस्तिष्क से ह्रदय को जोड़ने वाली नस होती है उसमे रक्तस्त्राव बढ़ जाता है जब ये होता है तब धडकनें बढ़ जाती हैं और दिल से दिल का चुम्बकीय प्रभाव बढ़ जाता है , एवं दिल हिचकोले खाने लगता है ....तब हमें लगता है की यही प्यार है .... वास्तव में ये प्यार नहीं ...एक प्रकार का तीव्र आकर्षण होता है जी जो हमें एक दुसरे की तरफ खीचता है ....
ये तो हुई विज्ञान की बात

अब करते हैं आध्यात्म की बात

सुन्दरता आकर्षण का प्रमुख कारण होता है अंजली आपको अगर लगे कि आपको किसी से प्यार हो रहा है तो पहले दो बातें अपने मन से पूछें ..
१- मैं इसकी तरफ आकर्षित क्यों हो रही हूँ (इसके सुन्दर चेहरे, नैन नक्स को देखकर या उसके दिल की किसी अच्छी बात देखकर, उसके अच्छे स्वाभाव को देखकर)

२- कोई इससे सुन्दर हुआ तो कहीं मेरा प्यार इसके लिए फीका न पड़ जाये (चाहे ये चेहरे की बात हो या दिल की गहराई की)

आज कल के किशोरों में प्यार एक ऐसी चीज हो गयी है जो किसी रोज़ की दिनचर्या से कम नहीं है....
रोज प्यार होता है ... जितने जल्दी होता है उससे दुगनी गति से अलगाव(break up) भी

एक बात और ......
सभी लड़के और लड़कियों से

ये प्यार नहीं आकर्षण है मत पड़ना इसके चक्कर में
ये रंग बदलती दुनिया है पल पल में धोखे खाओगे
बस प्यार करो परिवार से तुम बस यही प्यार काबिल रिश्ता
क्यों व्यर्थ समय बर्बाद करो क्यों पड़े हुए हो चक्कर में

आकर्षण को प्यार न समझो प्यार नहीं होता दो दिन में
सालों साल दोस्ती चलती प्यार पनपता है तब दिल में
तुम करो दोस्ती सबसे ये रिश्ता है सबसे अच्छा
नहीं ये रिश्ता प्यार के जैसा कच्चा पक्का कच्चा....

आशा करता हूँ की अंजली के साथ ही साथ सभी मित्रों को  ये बात समझ में आ गयी होगी अगर आपको मेरी बात पसंद आई तो कृपया "like" button का प्रयोग करके अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करें
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धन्यवाद

आपका अपना - सचिन पुरवार जी

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