हे राम तुम्हारी दुनिया में कैसे विचित्र हैं लोग यहाँ
कुछ कहते हैं करते हैं कुछ आते हैं कहाँ जाते हैं कहाँ
तेरी लीला ये जानके भी इतराते हैं किस बात पे ये
जाना एक दिन संसार से है जाएगा न कुछ साथ वहां

रुपया पैसा धन दौलत और ये अहंकार सब व्यर्थ मित्र
करोगे जैसा मिलेगा वैसा अच्छा या फिर बुरा चित्र
बस प्यार करो तुम लोगों से ये ही बस जायेगा साथ वहां
जाना एक दिन संसार से है जाएगा न कुछ साथ वहां
रचित - सचिन पुरवार जी
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