कोई नहीं भाता मुझको
तेरा हँसना तेरा रोना
कितना सनम लुभाए मुझको
तेरा आना तेरा जाना
तेरा पल पल में मुस्काना
एक घड़ी में हँसना
दूजी घड़ी उदास हो जाना
तेरी आँखों के मोती
स्पंदन करती पलकें
तेरे दर्शन को ऐ सजनी
मरे नैना तरसें
देख के तेरे तेरे अधर गुलाबी
शरमा जाए गुलाब
चले जो तू बल खा के
छलके प्याला जाम शराब
तेरा चलना तेरा पग पग धरती पे यूँ रखना
है ये अदा कमायत की मादकता से ये नैना
कल्पनाओं के भंवर में मैं खो सा गया
जब मैं जगा तेरा हो सा गया ।
सचिन पुरवार जी
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