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Tuesday, 22 May 2012

नयी सुबह की नयी ताजगी


आओ दोस्तों नयी सुबह की नयी ताजगी में हम जी लें
स्वच्छ वायु और सूर्य किरण के अर्क को हम जी भर के पी लें

सुबह सुबह का जल्दी उठना भरे ताजगी नयी उमंगें
मन का सागर भी उफान ले और जन्म लें नयी तरंगे

करो नाश्ता फला-हार का मित्रों तुम न जाना भूल
खुश रहने का और स्वस्थ रहने का बस ये एक ही रूल

प्रभु का करो ध्यान तुम बन्दे, उससे ही संसार चले
रिद्धी-सिद्धि और धन बरसा हो जिससे की परिवार चले

रचित - सचिन पुरवार जी



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