Followers

Monday, 14 May 2012

बदन संगमरमरी




वाह ! क्या मस्त अदा तेरी
वाह ! पलकें ठहर गयीं मेरी
वाह ! तेरा मस्त मगन अंदाज 
वाह ! तेरा क्या सुन्दर आगाज 


तेरी मस्त जवानी वाह !
तेरे होंठ गुलाबी वाह !
तेरा कातिल मुस्काना वाह !
तेरे काले कुंडल भी वाह !


वाह ! तेरा बदन संगमरमरी
वाह ! तू लगे कि कोई परी
वाह ! कुछ कहती ये आँखें
वाह ! जैसे सावन की रातें


तूने तो कुछ कर दिया वाह ! वाह !
तूने दिल चुरा लिया वाह ! वाह !
तेरा आलिंगन वाह ! वाह ! वाह !
तेरा वो चुम्बन वाह ! वाह ! वाह !


मुझको सब याद आ रहा है .... 
दिल मेरा धड़का रहा है ....


तेरा चलना बल खा के ....
तेरा झुकाना शरमा के ....
तेरी पायल कि छनछन ....
तेरे यौवन कि गुंजन ....


तेरी नाजुक सी कमरिया ....
उसपे ये वाली उमरिया ....
अब तो ढक ले तन को साकी .... 
कहीं न लग जाए नजरिया ....


तेरी तारीफों का मंजर ....
कभी कम हो न पाए ....
क्या करूँ तू है सुन्दर ....
नज़र हम कैसे झुकाएं ....


समझ कुछ आये जवाब अगर ....
देना फिर भी सोच समझकर ....
मैं तो दीवाना ठहरा ....
दिल पे है दर्द भी गहरा ....




रचित - सचिन पुरवार जी

No comments:

Post a Comment