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Sunday, 6 May 2012

तेरा यौवन


"है ख़ुशी इस बात की कि है तू मेरे पास अब
जागता था रात भर तू न थी मेरे पास जब 


तेरे सपने तेरी यादें तेरा ही एहसास था
तू तो मुझसे दूर थी पर दिल तो मेरे पास था


क्या मेरे जज्बात जागे तू नहीं तो कुछ नहीं है 
एक तू ही आरजू की तू नहीं कुछ भी नहीं है


फूल नाजुक हो या फूलों की लड़ी तुम सांवरी 
नयन चंचल होंठ फूलों की कली तुम बाबरी 


मस्त है अंदाज़ तेरा मस्तियाँ तुझमें भरी
यौवना चिरयौवना झलके है तुझमें हर घड़ी 


आ तेरा दीदार कर लूँ प्यार और बस प्यार कर लूँ 
आ तू लग जा अब गले से मस्तियाँ दो चार कर लूँ 


है महीना प्यार का मत रोक मुझको तू अभी
वक़्त है इज़हार कर ले फिर मिलूँगा न कभी 


रोज डे न रोज आये दिन बचे हैं आठ जी
सोच लो मम्मी से पूंछो पूंछ लो पापा से भी


कह दो उनसे है ये यौवन दिन हमारे हैं अभी 
हैं हमारे वो हम उनके हैं दो आशीर्वाद जी


झील सी आँखें तुम्हारी क्या कटीले होंठ हैं
संगमरमर सा बदन है बिजली है बिस्फोट है 


दिन है चौदह फरवरी तू याद रखना ओ सनम 
इंतजारी में कटेगा वक़्त तुझको है कसम


इतना सब सुनते ही बोली जान लेगा क्या सचिन 
हो गयी तेरी मैं सजना छोड़कर सबको सनम" |


specially for Valentine day 


रचित - सचिन पुरवार जी

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