आज १२-०२-२०१२ को हग डे है मित्रों बोले तो आलिंगन दिवस .... तो मैं इस पवित्र दिन को अपनी कविता के माध्यम से पंक्तियों का रूप दे रहा हूँ
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क्या हैं अधर तुम्हारे सजनी
क्या चितवन सा बदन तुम्हारा
कितनी चंचल कितनी मीठी
फूल में जैसे तितली बैठी
तेरे गाल
चिकने और गुलाबी
छुआ जो मैंने हो गए लाल
तेरी आँखें
चंचल और शराबी
जैसे लहराती शाखें
तेरे होंठ
कोमल और रसीले
जैसे हम हुए नशीले
तेरी नाक
लम्बी और नुकीली
जैसे फनकारी सांप

क्या मस्त रूप पाया तूने
क्या चंचल शोख जवानी है
तू राधा सी दीवानी है
आ पी लूँ तुझे बोतल की तरह
आ जी लूँ तुझे जीवन की तरह
क्या होगा नशा उस बोतल में
तू लाख पैग की प्याली है
मैं देख तेरा यौवन सजनी
नजरों को न फिर फेर सका
टकटकी सी बंधे मैं पगला
तुझे घूर रहा तुझे घूर रहा
पढ़ कर मेरे मन भावों को
तू धीरे धीरे आई थी
छन छन करती खन खन करती
पायल छनकाती आई थी
वो आ ही गया आलिंगन दिन
कोई और नहीं दिन sunday है
वो आकर मुझसे चिपक गयी
और भींच के बोली hug day है
मैं झूम गया था मस्ती में
फिर लिया था उसको बाँहों में
फिर कुल्टी देकर घुमा दिया
खुद समां गया था आहों में
जो परंपरा थी hug day की
सम्पूर्ण हुई परिपूर्ण करो
अब मिलेंगे हम kiss day के संग
तब तक तुम उसको प्यार करो
अरे अपनी प्रेमिका को मित्रों
कितना सुखद एहसास होता है जब प्रेमी और प्रेमिका एक दुसरे की आँखों में आखें डाल कर अपने प्रेम की अभिव्यक्ति को शब्दों के माध्यम से नहीं वरन अपने भावों के माध्यम से करते हैं तब एक श्रंगार रस से परिपूर्ण वातावरण का निर्माण होता है और दोनों के दिल में कुछ कुछ होने लगता है
और इसी कुछ कुछ का एहसास कुछ और नही बल्कि प्यार है, प्यार है, प्यार है
तो कीजिये एक दुसरे को प्यार दोस्तों और समां जाईये अपने उनके अन्दर , इसी सुखद के साथ आपका अपना
सचिन पुरवार जी
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