मैं एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ हमारे नवयुवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी के स्वागत में चूँकि यहाँ पर भाषा शैली छोटे मुंह बड़ी बात का व्याख्यान करेगी पर कविता तो कविता है ये उम्र और पद नहीं जानती ये तो बस अपनी अभिव्यक्ति निःसंकोच कर देती है ।
कवि न जाने उम्र किसी की
न कविता पद जाने
ये तो बस सच कहना जाने
आँख में पट्टी बांधे
तो बस श्री मान मुख्यमंत्री जी को समर्पित ये छोटी सी कविता प्रस्तुत है ।
मित्रों ...... त्रुटियों को छोटा भाई समझ कर क्षमा करना
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क्या सुन्दर साम्राज्य बनेगा क्या सुन्दर तंत्री अपना
हाथ जोड़ अभिवादन करना क्या सुन्दर हैं संस्कार
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना
अस्पताल कॉलेज खुला कर कितनो का कल्याण करे
पुरुस्कार वितरित कर कितने चेहरों में मुस्कान भरे
लगता है अब ये नेता मुझको तो मेरा अपना
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना
उंच नीच का भेद करे ना लोगों में भर दे उत्साह
जाति पाति का भेद करे ना लोगों की बस एक ही चाह
एक नहीं सौ बार बने अखिलेश मंत्री अपना
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना
लेपटोप और नोटबुकों की नयी क्रांति आई
जो कहते थे टेबलेट को गोली वो भी छाई
नहीं पड़ेगा अब बच्चों को बोरिंग बुक में पकना
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना
नल सड़कों बिजली की समस्या हुई दूर अब भाई
नव युग की अवतारी समाजवादी पार्टी है अब आई
पानी के लिए पाँच बजे अब नहीं पड़ेगा उठना
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना
नहीं हुई सम्पूर्ण पंक्तियाँ पर विराम मैं देता हूँ
आपकी छवि को मंत्री जी अभिराम भी साथ में कहता हूँ
करूँगा मित्रों पूरी कविता याद बात ये रखना
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना
बस मैंने देखा था ऐसे मुख्यमंत्री का सपना"........।।।
रचित - सचिन पुरवार जी
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