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Tuesday, 8 May 2012

जाम से मिलाओ जाम


मेरी कवितायेँ पढने वाले मेरे प्रिये मित्र
कभी दिल को पढने की कोशिश भी किया कीजिये 


प्याला है मेरा दिल साकी मुझे समझो मित्र तुम
कबिता मधु है मेरी घूंटो से पिया कीजिये


पीने वालों मेरे मित्र जाम से मिलाओ जाम
शब्द सन्देश को ह्रदय में भी पिरोइए


नया नया लेखक हूँ सराहो मुझको मेरे मित्र 
नाव नदी से सागर में भी उतार दीजिये


नैन रेखा और ये श्रंगार तेरा बहुत खूब 
साकी बनकर प्याले में समां भी अब जाईये 


पान तेरा मैं भी कर लूँ प्याले कविताओं के 
साथ मेरा दीजिये नशे में खो जाईये


मेरी कविता के नशे में चूर प्रिये मित्र 
कविता है ख़तम अब गले से भी लगाइए 


रचित - सचिन पुरवार जी 

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