मेरी कवितायेँ पढने वाले मेरे प्रिये मित्र
कभी दिल को पढने की कोशिश भी किया कीजिये
प्याला है मेरा दिल साकी मुझे समझो मित्र तुम
कबिता मधु है मेरी घूंटो से पिया कीजिये
पीने वालों मेरे मित्र जाम से मिलाओ जाम
शब्द सन्देश को ह्रदय में भी पिरोइए
नया नया लेखक हूँ सराहो मुझको मेरे मित्र
नाव नदी से सागर में भी उतार दीजिये
नैन रेखा और ये श्रंगार तेरा बहुत खूब
साकी बनकर प्याले में समां भी अब जाईये
पान तेरा मैं भी कर लूँ प्याले कविताओं के
साथ मेरा दीजिये नशे में खो जाईये
मेरी कविता के नशे में चूर प्रिये मित्र
कविता है ख़तम अब गले से भी लगाइए
रचित - सचिन पुरवार जी
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