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Tuesday, 8 May 2012

व्रत


व्रत 
क्या है ये व्रत
क्यों रखते हैं हम व्रत
बड़ा ही दिग्भ्रमित करते हैं ये व्रत


व्रत का पर्याय वैसे तो शून्य होता है 
शून्य का मतलब न मीठा ना नून(नमक) होता है 


पर व्रत वाले दिन ही हम सबसे ज्यादा खाते हैं
मेवा फल मिस्थानों से हम भोग लगाते हैं 


ईश्वर ग्रहण करे या ना भी उससे क्या है फरक पड़े
ईश्वर चाहे क्रोधित हो ले अपना जम कर पेट भरे 


व्रत के नाम पे बूढ़े बच्चे सभी यहाँ तैयार खड़े
ऐसा व्रत किस काम का ये तो ईश्वर को नाराज करे


व्रत का मतलब त्याग है भैया
त्याग दो उस दिन सब कुछ तुम
फिर ईश्वर की कृपा बनेगी 
देख के तेरा ये सत्कर्म 


दान करो तुम श्रद्धा भर बस यही है सच्ची पूजा
इससे बड़ी ना कोई पूजा ना कोई व्रत दूजा....... :-)


रचित - सचिन पुरवार जी 

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