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ऐ
सुनसुन जरा
सुन ना
कुछ कहना है
वो पत्ती
उस पर वो शवनम की बूंद
जब जब देखूं
मुझे याद आये
बस तेरे होंठो की प्याली

वो मौसम
उस पर ये काली घटा
जब जब देखूं
मुझे याद आये
बस तेरे वो काले बाल
वो कटी पतंग
उस पर वो डोरजब जब देखूं
मुझे याद आये
तेरी लहराती कमर
पर
जब जब मैं देखूं तुझे
कुछ और ना आये याद मुझे
क्यों ? ? ?
वो बोली
शरमा के
बाबू ... ये प्यार है ये प्यार है
आपका अपना - सचिन पुरवार जी
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