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Saturday, 12 May 2012

चार दिन की जवानी


जिए जा रहा हूँ
जिए जा रहा हूँ
प्रेम रस का पियाला 
पिए जा रहा हूँ

चार दिन की जवानी 
ये दिन मौज के हैं
मस्तियों के साथ में 
हंसा जा रहा हूँ

उम्र कोई भी हो 
हिचक न हो कोई
उम्र ढलेगी तो झुर्री पड़ेंगी 
पर दिल की जवानी 
कभी खत्म न हो
हो ये अठारह
या अस्सी का कोई 

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सचिन पुरवार जी

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