चार दिन की जवानी
जिए जा रहा हूँ
जिए जा रहा हूँ
प्रेम रस का पियाला
पिए जा रहा हूँ
चार दिन की जवानी
ये दिन मौज के हैं
मस्तियों के साथ में
हंसा जा रहा हूँ
उम्र कोई भी हो
हिचक न हो कोई
उम्र ढलेगी तो झुर्री पड़ेंगी
पर दिल की जवानी
कभी खत्म न हो
हो ये अठारह
या अस्सी का कोई
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सचिन पुरवार जी
wah wah..... bahut khoob bhai.... :-)
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