पेट्रोल के दाम की कीमत जैसे पेड़ खजूर
गाड़ी को मिलना नहीं, मालिक है मजबूर

खून चूसने को सब बैठे खोले दांत हज़ार
पेट्रोल की लग गयी साढ़े साती भाई
जैसे बूंद जिन्दगी की दो वैसे लेव चुवाई
सबसे बढ़िया सायकिल समाजवाद है भाई
खींच-खींच पहुँचो गंतव्य अच्छी कसरत भाई
बीत गए दिन खूब अब कांग्रेस के राज में
कोई नहीं दम अब रही मनमोहन के ताज में
राज चलायें देश में राजद्रोह गद्दार
कैसे पनपे देश जब हाथ इनके हथियार
थाम लो भइयों हाथ में लाठी तीर मशाल
देशद्रोहों को देश से गोली मार निकाल
रचित - सचिन पुरवार जी
No comments:
Post a Comment