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Sunday, 6 May 2012

लाइक


लाइक 




लाइक क्या है
पसंद करना स्टेटस को 
या 
स्टेटस लेखक को




जाती है समझ मेरी
जिस मोड़ तक भी
लाइक करते हैं हम लेखक को
लेखनी तो दूसरी अभिव्यक्ति है




ये अनुभव है मेरा
ये अनुभव है तेरा
जब भी आता है नया सवेरा
डालता हूँ स्टेटस कोई टेड़ा-मेडा




लोग तो करते हैं लाइक उसे भी
लोग, जो न तो करते हैं पसंद मुझे न लेखनी को मेरी
देखि बस वाल करने लगे लाइक न मुझे न लेखनी को मेरी 




फिर देखता हूँ उन लाइकर्स को 
समझ जाता हूँ की लोग
लोग करते हैं जो पसंद आपको 
करेंगे पसंद आपके लेख को भी




लोग, जिनके लिए आप मात्र बोझ भर हैं
लिख देना कितना भी अच्छा आप
लाइक करना तो दूर, पड़ना भी पसंद नहीं करेंगे आपको 




इस अनुभव का मालिक सिर्फ मैं ही नहीं, आप सब भी हैं ,
बस दिल की बात को शब्दों की दीवार पर उतारा है ........


रचित - सचिन पुरवार जी

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