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Monday, 14 May 2012

हे माँ...ओ माँ (Mother's day-13-may-12)


दोस्तों आज तो माँ का दिन है ...वैसे तो सारे दिन ही माँ के दिन होते हैं पर आज का दिन कुछ खास है जो हमें अपनी माँ के लिए कुछ करने को प्रेरित करता है ।
मैंने सुबह उठते ही उनके चरणस्पर्श किये एवं आज के दिन को खास बनाने के लिए आज मैं उनको अपना पूरा वक़्त दूंगा ... उनके कार्यों में उनकी मदद करूँगा तथा शाम को इस खास दिन को केक के साथ सेलिब्रेट करूँगा ।

समर्पित एक कविता मेरी माँ को 


हे माँ...ओ माँ 


इस दुनिया में कोई नहीं है मात तुम्हारे जैसा 
इस संसार में लाकर मुझको उपकार किया है कैसा


कितना दर्द सहा है तूने पेट में मुझको रखकर
शील, धीर तू धैर्य की देवी सहन करे सब हँसकर
रखा इक इक कदम फूंक कर मेरी खातिर हे माँ
और नहीं कोई इस दुनिया में तुझसे ज्यादा बढ़कर 


बिना स्वार्थ के तू करती है काम मेरे तू सारे
तू कितनी अच्छी है कितनी भोली मेरी माँ रे
तू भूखी सो जाए मुझको देख नहीं सकती भूखा
नहीं मिलेगा कोई तेरे जैसा मेरी माँ रे


मैंने कितने कष्ट दिए बचपन में खूब शरारत करके
तुने ही हिम्मत है बढाई जब भागा किसी से डर के
एक तू ही तेरी ही कृपा है आज अगर कुछ हूँ मैं 
भावनाओं से सरोकार हूँ माँ मुझको हग कर ले 


दूँ न कभी कोई गम तुझको हर पल मैं ये सोचूं
तेरे भी अरमान थे कुछ बचपन में वो भी कर दूँ


क्षमा दान चाहूँगा गलती रोज नयी मैं करता हूँ 
पर मैं सोचूं हर पल तुझको कोई कष्ट न मैं दूँ


अश्रुधार बह चली मेरी ये कविता लिखते लिखते
नहीं चुका पाउँगा तेरे कर्ज मैं मरते मरते
सभी मात के बेटों से मैं यही अपीलें करता हूँ
कष्ट न देना माँ को ममता की सौगंध मैं देता हूँ 


रचित - सचिन पुरवार जी 

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