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यूँ तो बहुत कुछ मिला है अभी तक
पर खोज जारी रहेगी फलक तक
ये नदियाँ ये पर्वत ये धरती ये अम्बर
रहेंगे हमेशा यहीं पर रहेंगे
जाना हमें और तुमको यहाँ से
तो क्या है हमारा जो हम न रहेंगे
अहंकार फिर भी भरा नव्ज़ नस में
जाने हैं सब कुछ कि कुछ कर न लेंगे
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रचित - सचिन पुरवार जी
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