कभी नहीं पटती पापा से फिर भी पापा मेरे हीरो
पड़ा तमाचा इक गलती पे फिर भी पापा मेरे हीरो
मुझे याद है बचपन में मैं बहुत शरारत करता था
पापा नित नए लायें खिलौने तोड़ तोड़ मैं रखता था,
नयी किताबें पापा लाते मनमोहक खुशबु से सरोवार

बड़ा हुआ धीरे धीरे मैं समझ आई मुझमे थोड़ी
जिसकी आस तो पापा ने न जाने कब से थी छोड़ी ... :-P
गलती करके बहस यूँ करना जैसे सारी दुनिया देखी
भूल के सारी बातों को कि उनसे ही दुनिया सीखी
नमन आज इस पावन दिन पर श्रद्धा से स्वीकार करो
भूल के सारी बातें मेरी चरणस्पर्श स्वीकार करो
सचिन पुरवार (इटावा)
बहूत सुन्दर लेख है पापा के लिए बहूत सुन्दर लेख है पापा के लिए
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