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Friday, 18 May 2012

नज़र नज़र में


नज़र नज़र में नज़र यूँ बोली
नज़र मिला लो नज़र में हमसे
नज़र मिलेगी यूँ जब नज़र से
नज़र में होगी नज़र दीवानी

नज़र का सपना नज़र ने देखा
नज़र झुक गयी नज़र से ऐसे
उठी नज़र जब नज़र कसम से
मिले दो दिल थे नज़र-नज़र में


-  सचिन पुरवार जी

4 comments:

  1. कल 20/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. नज़र न लगे आपकी रचना को |
    बेहद खूबसूरत |

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  3. kamal ka lekhan.....nazar ko tarif ka nazrana oesh kar rahi hoon

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  4. नज़र के बारे में इतना अच्छी कविता जीवन मे पहली बार पढी है बहुत अच्छी लगी मुझे !

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