दोस्तों दोपहर की नमस्ते...
सारे देश का आइना देखने को मिल गया, जिसे देख कर मैं अपने आँशु न रोक सका और चुपचाप अपने कमरे में आकर फुट-फुट कर रोया,
बच्चे कितना दर्द सह रहे हैं | किसी का बाप उन्हें प्रताड़ित कर रहा है तो कुछ शिक्षकों का जुल्म, भारत देश का ऐसा कितना बड़ा भाग है जहाँ बच्चों को पैदा करते ही या तो भीख मांग कर कमाई करने के लिए छोड़ दिया जाता है या कहीं कवाड़ी की दूकान में कबाड़ा बीनने के लिए
बड़ा अफ़सोस होता है की जिस देश में हम रहकर गर्व का अनुभव करते हैं वहीँ पर हमें इतना शर्मनाक चीजों से आये दिन दो-चार होते हैं
बच्चे अपने हैं तो हम उनका पल -पल ख्याल रखते हैं और पराये बच्चे अगर नाली से कवाडा बीनते दिख जाएँ तो हम उन्हें इतनी हेय की द्रष्टि से देखते हुए इस वाक्य से अपनी बात समाप्त करते हैं की "ये हमारी औलाद थोड़े ही है "
क्या हमें आपको इसके विरोध कदम नहीं उठाना चाहिए
मित्रों हम क्या कर सकते है कृपया अपनी राय दें ताकि हम सब यहाँ पर अपने सकारात्मक विचारों से इस मिशन को सार्थकता पहुंचा सकें |
एक कविता के माध्यम से आप तक अपनी बात
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"ह्रदय भरा था करुणा से त्श्वीर देख भारत माँ की
जो भविष्य हैं कल के उनकी सूरत कुछ ऐसी देखी
पैदा करके छोड़ दिया इंसान नहीं हैवान हो तुम
पशु भी अपना बच्चा पाले उससे भी गए गुज़रे तुम
बीन कबाड़ा चोरी करके भीख मांगकर पालें पेट
बड़ी हेय की द्रष्टि से ये सब बन कर देख रहे हम सेठ
वो अबोध नादान परिंदे क्या जाने दिन चार हुए
घर के और स्कूल के ताने बचपन में वो खूब सहे
उनका बचपन घंटी माफिक एक नहीं दस बार बजे
अपील
हाथ जोड़ कर करूँ अपीले बच्चों के प्यारे माँ बाप
ये बगिया की फुलवारी हैं ढंग से सींचो इनको आप
गर्व आपका ये हैं इक दिन नाम फतह कर देंगे जी
खुशबु अभी आपके घर में महका देंगे दुनिया जी"
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(मैंने जानबूझ कर ये विदेशी तश्वीर लगाई है ताकि विदेशी हमारे देश का मजाक न बना सकें)
घर के मामले हैं घर में ही सुलझने दो,
लोग थू-थू करने में कहाँ वक़्त लेते हैं ...
आपका अपना - सचिन पुरवार जी
बहुत अच्छी कविता है प्रेरणा स्त्रोत लगती है
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद भैया जी
ReplyDeleteआज के हिन्दुस्तान की सच्ची तस्वीर पेश करती हुई रचना
ReplyDeleteआपका लेखन और भी ग़ज़ब का है